भारत के पहले वर्टिकल लिफ्ट रेलवे समुद्री पुल – न्यू पंबन ब्रिज, तमिलनाडु के रामेश्वरम में स्थित है और यह एक आधुनिक इंजीनियरिंग का शानदार नमूना है। यह 105 वर्षीय पुराने पंबन ब्रिज की जगह लेगा। आइए जानते हैं इस परियोजना की खासियतें।
भारत का पहला वर्टिकल लिफ्ट रेलवे समुद्री पुल
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शुक्रवार को न्यू पंबन ब्रिज की तस्वीरें और वीडियो साझा कीं। उन्होंने इस ब्रिज को “आधुनिक इंजीनियरिंग का चमत्कार” बताया और कहा कि परियोजना तेज़ी, सुरक्षा और नवाचार को प्राथमिकता देते हुए बनाई गई है।
जबसे 1914 में पुराने पंबन ब्रिज का निर्माण हुआ, यह भारत की मुख्यभूमि को रामेश्वरम द्वीप से जोड़ता आ रहा था। 105 वर्षों तक सेवा देने के बाद, दिसंबर 2022 में इसे जंग और खराबी के कारण बंद कर दिया गया।
नई और पुरानी पुल की तुलना
इस परियोजना में नए पुल को पुराने पुल से बेहतर बनाने पर ज़ोर दिया गया। पुराने पुल में मैन्युअल शेरज़र लिफ्ट स्पैन था जो केवल एक ट्रैक पर सीमित था। इसकी हवा से ऊंचाई केवल 19 मीटर थी।
इसके विपरीत, नया पुल पूरी तरह स्वचालित वर्टिकल लिफ्ट स्पैन, दोहरी ट्रैक और बिजलीकरण का समर्थन करता है। इसकी क्लियरेंस ऊंचाई 22 मीटर है और यह उच्च गति की ट्रेनों के लिए डिजाइन किया गया है।
आधुनिक सुविधाएं और लागत
2 किलोमीटर लंबे इस पुल को रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL) द्वारा ₹535 करोड़ की लागत से बनाया गया। यह पुल 100 स्पैन वाला है, जिनमें से 99 स्पैन 18.3 मीटर लंबे हैं। समुद्री परिवहन को ध्यान में रखते हुए इसमें 73 मीटर का नेविगेशन स्पैन भी शामिल है।
रेल मंत्री द्वारा साझा की गई वीडियो में ट्रेन के परीक्षण संचालन को दिखाया गया है। इसके साथ ही, पुल का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है और लिफ्ट स्पैन का कई बार सफलतापूर्वक परीक्षण किया जा चुका है।
आगे की राह और संभावनाएं
रिपोर्ट्स के अनुसार, नई पंबन ब्रिज के उद्घाटन की प्रक्रिया जल्द शुरू होगी। इस पुल से गुजरने वाली ट्रेनें यात्रियों को मन्नार की खाड़ी के मनोरम दृश्य प्रदान करेंगी।
न केवल ट्रेन यातायात और परिवहन में सुधार होगा, बल्कि पर्यटक और आर्थिक गतिविधियों में भी तेजी आएगी। रामेश्वरम रेलवे स्टेशन को अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत पुनर्विकसित किया जा रहा है, जिससे इस ऐतिहासिक द्वीप की कनेक्टिविटी और पर्यटन को बड़ा लाभ मिलेगा।
सुरक्षा और नई चुनौतियां
हालांकि, रेलवे सुरक्षा आयुक्त (CRS) ने पुल की योजना और निर्माण के संबंध में कुछ चिंताएं जताई हैं। रेलवे मंत्रालय ने इन समस्याओं का समाधान करने के लिए पांच सदस्यीय समिति का गठन किया है, जो आगे की निरीक्षण प्रक्रिया को सुनिश्चित करेगी।